जिस सैन्य कार्रवाई को देशभक्ति और गौरव का प्रतीक बताया गया — ऑपरेशन सिंदूर — अब बाज़ार का ब्रांड बनेगा। पाकिस्तान पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के नाम को अंबानी समूह ने ट्रेडमार्क करने के लिए आवेदन किया है। यह घटना न केवल युद्ध और राष्ट्रवाद के प्रतीकों के बाज़ारीकरण की मिसाल है, बल्कि यह भी दिखाती है कि अब देश की सैन्य कार्रवाइयाँ भी कॉरपोरेट रणनीति का हिस्सा बन चुकी हैं। सवाल यह है: क्या अब देशभक्ति भी एक प्रोडक्ट है?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम को ट्रेडमार्क कराने की होड़ में चार दावेदार सामने आए हैं, जिनमें मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज भी शामिल है।
रिलायंस के अलावा, तीन अन्य दावेदार—मुकेश चेतराम अग्रवाल, ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत्त) कमल सिंह ओबेरह, और आलोक कोठारी—ने भी इसी नाम के लिए ट्रेडमार्क आवेदन दाखिल किया है। यह पहल ऐसे समय पर सामने आई है जब देश अभी हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के सदमे से उबर रहा है, जिसमें 25 भारतीयों की जान चली गई थी। इस हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सटीक कार्रवाई करते हुए जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को ध्वस्त किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 7 मई को क्लास 41 के तहत रिलायंस ने अप्लाई किया, जिस दिन यह सैन्य ऑपरेशन हुआ। कॉमर्स मिनिस्ट्री के ट्रेडमार्क सर्च पोर्टल के मुताबिक, कंपनी ने इस नाम को मनोरंजन के लिए इस्तेमाल करने का इरादा जताया है। कंपनी का मीडिया और एंटरटेनमेंट विभाग पहले से ही न्यूज, स्पोर्ट्स, फिल्में आदि बनाता है। कंपनी पहले चेक करेगी कि यह नाम पहले किसी और ने तो रजिस्टर नहीं कराया है। यदि कोई ऑब्जेक्शन नहीं आता है तो इसे गवर्नमेंट की ट्रेडमार्क जर्नल में छापा जाएगा। अगर सबकुछ ठीक रहा तो ट्रेडमार्क रिलायंस के नाम हो जाएगा।
