14 जून 2025, नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने साधना ब्रॉडकास्ट लिमिटेड (अब क्रिस्टल बिजनेस सिस्टम लिमिटेड) के शेयरों में कथित धोखाधड़ी और मूल्य हेरफेर के मामले में कई नोटिसियों पर भारी जुर्माना लगाया है। इस मामले में राकेश गुप्ता, गौरव गुप्ता, सुभाष अग्रवाल और मनीष मिश्रा को मास्टरमाइंड के रूप में पहचाना गया है, जिन्होंने शेयरों की कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाने और बाद में उन्हें बेचकर मुनाफा कमाने की साजिश रची।
पंप एंड डंप योजना का पर्दाफाश
सेबी की जांच में सामने आया है कि प्रमोटरों ने दो चरणों में एक सुनियोजित “पंप एंड डंप” योजना को अंजाम दिया। पहले चरण में, सोशल मीडिया और यूट्यूब चैनलों का इस्तेमाल कर रिटेल निवेशकों को शेयरों में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिससे कीमतें कृत्रिम रूप से बढ़ीं। इसके बाद, प्रमोटरों ने अपने शेयर बेचकर मुनाफा कमाया, जिससे रिटेल निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। इस दौरान शेयर की कीमत 2.60 रुपये से बढ़कर 33 रुपये तक पहुंची, लेकिन बाद में यह फिर से नीचे आ गई।
मुख्य दोषी और उनकी भूमिका
• सुभाष अग्रवाल और मनीष मिश्रा: इन्हें इस योजना के केंद्रीय किरदार के रूप में चिह्नित किया गया, जो रिटेल निवेशकों को गुमराह करने में शामिल थे।
• पीयूष अग्रवाल और लोकेश शाह: इनका इस्तेमाल सूचनाओं के वाहक और खातों को नियंत्रित करने के लिए किया गया।
• जतिन शाह: योजना को संचालित करने में अहम भूमिका निभाई।
रिटेल निवेशकों को नुकसान
सेबी के अनुसार, इस योजना से रिटेल निवेशकों को भारी नुकसान हुआ, क्योंकि प्रमोटरों ने अपने शेयरों को बेचकर मुनाफा कमाया, जबकि आम निवेशकों को शेयरों की कीमतों में अचानक गिरावट का सामना करना पड़ा। मार्च 2022 में प्रमोटरों का शेयरधारिता 40.95% से घटकर 15% हो गई, जिससे कंपनी का बाजार मूल्य प्रभावित हुआ।
सेबी का कड़ा रुख
सेबी ने इस मामले में धोखाधड़ी और अनुचित व्यापारिक प्रथाओं के लिए धारा 15HA के तहत जुर्माना लगाया है, जो कि लाभ का तीन गुना या 25 करोड़ रुपये, जो भी अधिक हो, हो सकता है। साथ ही, नोटिसियों को अपने गलत लाभ को वापस करने का निर्देश दिया गया है। सेबी ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी अपनी जिम्मेदारी बढ़ानी होगी, ताकि बाजार में हेरफेर को बढ़ावा न मिले।
आगे की कार्रवाई
सेबी ने वरुण मीडिया प्राइवेट लिमिटेड (नोटिसी 8) के खिलाफ कार्रवाई लंबित रखी है और इसकी अलग से जांच की जाएगी। इस मामले में रिटेल निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं, ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी को रोका जा सके। यह मामला भारतीय शेयर बाजार में पारदर्शिता और निष्पक्षता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
