नोएडा : वरिष्ठ पत्रकार और ट्राइसिटी टुडे के संपादक पंकज पाराशर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली जमानत से बड़ी राहत तो जरूर मिली, लेकिन यह देर तक टिक नहीं सकी। गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने जेल से छूटने की संभावना को देखते हुए उन पर एक बार फिर गैंगस्टर एक्ट के तहत नया मुकदमा दर्ज कर लिया है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा था कि पंकज पाराशर को झूठे मुकदमे में फंसाया गया है और उनके खिलाफ दर्ज आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है। बावजूद इसके, पुलिस ने दूसरा मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल में बनाए रखने की कोशिश की है। पंकज पाराशर की पत्नी इस पूरे मामले को साजिश करार देती हैं। उनका कहना है, “जब कोर्ट ने साफ कह दिया कि मेरे पति को झूठे केस में फंसाया गया, तो पुलिस किस आधार पर उन्हें फिर से गैंगस्टर बता रही है? क्या एक पत्रकार के लिए सच बोलना अब अपराध हो गया है?”
पंकज पाराशर को हाईकोर्ट ने 2 जनवरी 2024 को दर्ज एक मामले में जमानत दी थी। यह मामला गौतम बुद्ध नगर के बीटा-2 थाने में दर्ज हुआ था, जिसमें रवि काना को गैंग का सरगना बताया गया था और अन्य 15 लोगों को उसका सदस्य। खास बात यह रही कि पंकज पाराशर उस एफआईआर में नामित ही नहीं थे। उन्हें उस केस में एक साल बाद, 20 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया गया और फिर गैंग चार्ट में उनका नाम जोड़ा गया।
अदालत ने इस देरी और प्रक्रिया पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि यह गिरफ्तारी न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। कोर्ट ने यह भी माना था कि पाराशर के खिलाफ जो चार अन्य मामले बताए जा रहे हैं, वे इतने गंभीर नहीं हैं कि गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए। अदालत ने साफ कहा था कि यह मामला एक पत्रकार को उनके काम की वजह से टारगेट करने का प्रतीत होता है।
लेकिन अब, जब अदालत ने सारी परिस्थितियों को देखते हुए पंकज पाराशर को जमानत दे दी, उसी दौरान पुलिस ने एक और नया मामला दर्ज कर लिया। इस नए मुकदमे में भी वही पुराने आरोप दोहराए गए हैं – कि वह रवि काना गैंग से जुड़े हैं।
पाराशर के अधिवक्ताओं का कहना है कि यह साफ तौर पर “फर्जी चार्ज रिपीट” है, ताकि उन्हें जेल में ही रखा जा सके। उनका यह भी कहना है कि पुलिस का यह रवैया कोर्ट के आदेश को बाईपास करने और लोकतांत्रिक व्यवस्था को ठेंगा दिखाने जैसा है।
इस पूरे मामले पर पंकज पाराशर की पत्नी का गुस्सा और पीड़ा साफ झलकती है। उन्होंने कहा, “जब भी उन्होंने पुलिस और प्रशासन की गड़बड़ियों को उजागर किया, तब-तब उन्हें डराने और दबाने की कोशिश हुई। पहले झूठा केस बनाया गया, अब वही आरोप दोहराकर जेल में बनाए रखने की कोशिश की जा रही है। क्या यह लोकतंत्र है?”
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सुख-दुखजमानत के बाद पत्रकार पंकज पाराशर पर फिर ठोंका गैंगस्टर!
ByB4MTeamPublished1 hour ago
नोएडा : वरिष्ठ पत्रकार और ट्राइसिटी टुडे के संपादक पंकज पाराशर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली जमानत से बड़ी राहत तो जरूर मिली, लेकिन यह देर तक टिक नहीं सकी। गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने जेल से छूटने की संभावना को देखते हुए उन पर एक बार फिर गैंगस्टर एक्ट के तहत नया मुकदमा दर्ज कर लिया है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा था कि पंकज पाराशर को झूठे मुकदमे में फंसाया गया है और उनके खिलाफ दर्ज आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है। बावजूद इसके, पुलिस ने दूसरा मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल में बनाए रखने की कोशिश की है। पंकज पाराशर की पत्नी इस पूरे मामले को साजिश करार देती हैं। उनका कहना है, “जब कोर्ट ने साफ कह दिया कि मेरे पति को झूठे केस में फंसाया गया, तो पुलिस किस आधार पर उन्हें फिर से गैंगस्टर बता रही है? क्या एक पत्रकार के लिए सच बोलना अब अपराध हो गया है?”
पंकज पाराशर को हाईकोर्ट ने 2 जनवरी 2024 को दर्ज एक मामले में जमानत दी थी। यह मामला गौतम बुद्ध नगर के बीटा-2 थाने में दर्ज हुआ था, जिसमें रवि काना को गैंग का सरगना बताया गया था और अन्य 15 लोगों को उसका सदस्य। खास बात यह रही कि पंकज पाराशर उस एफआईआर में नामित ही नहीं थे। उन्हें उस केस में एक साल बाद, 20 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया गया और फिर गैंग चार्ट में उनका नाम जोड़ा गया।
अदालत ने इस देरी और प्रक्रिया पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि यह गिरफ्तारी न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। कोर्ट ने यह भी माना था कि पाराशर के खिलाफ जो चार अन्य मामले बताए जा रहे हैं, वे इतने गंभीर नहीं हैं कि गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए। अदालत ने साफ कहा था कि यह मामला एक पत्रकार को उनके काम की वजह से टारगेट करने का प्रतीत होता है।
लेकिन अब, जब अदालत ने सारी परिस्थितियों को देखते हुए पंकज पाराशर को जमानत दे दी, उसी दौरान पुलिस ने एक और नया मामला दर्ज कर लिया। इस नए मुकदमे में भी वही पुराने आरोप दोहराए गए हैं – कि वह रवि काना गैंग से जुड़े हैं।
पाराशर के अधिवक्ताओं का कहना है कि यह साफ तौर पर “फर्जी चार्ज रिपीट” है, ताकि उन्हें जेल में ही रखा जा सके। उनका यह भी कहना है कि पुलिस का यह रवैया कोर्ट के आदेश को बाईपास करने और लोकतांत्रिक व्यवस्था को ठेंगा दिखाने जैसा है।
इस पूरे मामले पर पंकज पाराशर की पत्नी का गुस्सा और पीड़ा साफ झलकती है। उन्होंने कहा, “जब भी उन्होंने पुलिस और प्रशासन की गड़बड़ियों को उजागर किया, तब-तब उन्हें डराने और दबाने की कोशिश हुई। पहले झूठा केस बनाया गया, अब वही आरोप दोहराकर जेल में बनाए रखने की कोशिश की जा रही है। क्या यह लोकतंत्र है?”
देखें हाईकोर्ट ऑर्डर-
हाइकोर्ट के ऑर्डर को पाँच प्वाइंट में समझिए
एफआईआर में उनका नाम ही नहीं था, फिर भी एक साल बाद जाकर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया! कोर्ट ने कहा कि आरोपों में दम नहीं है।
जिस केस के आधार पर गैंगस्टर एक्ट लगाया गया, उसमें उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है! बाकी जिन केसों का ज़िक्र किया गया, वे इतने गंभीर नहीं हैं कि गैंगस्टर लगाया जाए।
पुलिस कोई पक्के सबूत नहीं दिखा सकी कि पंकज किसी गैंग से जुड़े हैं। कोर्ट ने माना कि वह एक ईमानदार और बेबाक पत्रकार हैं, जो सिस्टम की गलतियों को उजागर करते रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि करोड़ों रुपए लेनदेन का कोई अपराध से रिश्ता नहीं हैं न ही कोई सबूत है। एफआईआर में जिन लोगों का नाम था, उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है, फिर पंकज को जेल में क्यों रखा गया?
कोर्ट ने कहा कि गैंगस्टर एक्ट लगाना गलत तरीके से किया गया है, सिर्फ परेशान करने के लिए। यह मामला एक पत्रकार की आवाज़ को दबाने की कोशिश लगती है, ना कि कोई सच्चा अपराध।
