बड़ी ख़बर! कानपुर के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार केंद्र में गए। अखिल कुमार को डिजिटल इंडिया भारत सरकार का एमड़ी और सीईओ बनाया गया।
कानपुर कमिश्नर अखिल कुमार! क्या इनके तबादले से कानपुर के दुबे एन्ड कंपनी से जुड़े तमाम बड़े चेहरे सुरक्षित हो गए?
चैनल मालिक अखिलेश दुबे केस खोलने को लेकर बेहद चर्चा में थे अखिल कुमार! अब सवाल दो हैं। पहला सवाल फिर भी छोटा है मगर दूसरा बहुत बड़ा।
पहला सवाल ये कि कानपुर का नया पुलिस कमिश्नर कौन होगा?
दूसरा ये कि अखिलेश दुबे के मैटर में क्या होगा?
वैसे भी अखिलेश दुबे के मामले मे बनाई गई SIT के पास शिकायतों की भरमार है,
मगर हैरानी की बात ये है कि अखिल कुमार के पुलिस कमिश्नर रहते हुए भी शिकायतों की ये बाढ़ अब तक एफआईआर में तब्दील नहीं हुई है!!
सवाल ये भी है कि आखिर पुलिस ने अब तक अखिलेश दुबे की रिमांड क्यों नहीं मांगी है?
सवाल तो ये भी है कि एसआईटी जिन मामलों में अखिलेश दुबे के खिलाफ जांच पूरी कर चुकी है और जिनमें आरोपों को सही पाया गया है, उनमें भी पुलिस की कलम एफआईआर लिखने को अब तक क्यों तैयार नहीं हुई?
सवाल तो ये भी है कि अखिलेश दुबे की जिन संपत्तियों को केडीए अवैध कब्जे और निर्माण के तौर पर चिन्हिंत कर चुका है, वहां बुलडोजर क्यों नहीं चला?
क्या अखिलेश दुबे के मामले में कोई ‘ईश्वरीय’ संदेश आ चुका है?
क्या योगी आदित्यनाथ की सरकार में सारे नियम कायदे दबे-कुचले-गरीब और साधारण आदमियों के लिए ही हैं?
अगर कार्यवाही का पैटर्न यही है तो इससे किसी को क्या फर्क पड़ता है कि अगला पुलिस कमिश्नर कौन होगा?
जॉर्ज ऑरवेल अपनी महान कृति ‘एनिमल फार्म’ में बिल्कुल सटीक बयां कर गए हैं कि सत्ता भले ही बदल जाए, सत्ता का चरित्र नहीं बदलता!!
