प्रियदर्शन-
22 साल पहले हम एनडीटीवी में एक ही साथ एक ही दिन आए थे- 6 जनवरी, 2003 को। हमारे बाल काले थे, हमारी चाल में तेज़ी थी, एक युवा स्फूर्ति थी, एक नए माध्यम को समझने का जज़्बा था।
बीते महीने निधि और असद विदा हुए, अब आज अजय शर्मा। निधि इस माध्यम में सुपर स्टार रहीं, अजय जी हमारे सीक्रेट सुपर स्टार रहे। उनके पास मेरठ से मेलबॉर्न तक का हिसाब रहता था।
पुराने क्रिकेटरों (सुनील गावसकर, विश्वनाथ, सोलकर आदि), ओलंपिक खिलाड़ियों (नादिया कामनेची, लीडिया डि वेगा), टेनिस खिलाड़ियों (ब्योन बोर्ग, मैकनरो, कोनर्स, इली नस्तासे आदि) भारतीय फुटबॉलरों (चुन्नी गोस्वामी, पीके बैनर्जी) की स्मृति से लेकर बिल्कुल युवा यू ट्यूब और इंस्टाग्राम के नए नायकों तक की ख़बर उनके पास होती थी।
वे आउटपुट टीम के स्तंभ रहे- बिना हिले-डुले सबको स्तंभित करते रहे।
जो लोग टीवी की दुनिया को जानते हैं, उन्हें पता होता है कि स्क्रीन पर दिखने वाले चमकदार चेहरों की भाषा संवारने-सुधारने वाले कुछ लोग होते हैं जो चुपचाप अपना काम कर रहे होते हैं। अजय शर्मा कभी विनोद दुआ के ओई रहे, कभी निधि कुलपति के साथ देश की बात देखी और कभी नग़मा के साथ दुनिया का काम किया।
2005 में जब अभिषेक बच्चन और रानी मुखर्जी ने एनडीटीवी के लिए एक बुलेटिन किया तो उनको ख़बरें समझाने और उनके लिए लिखने का काम भी अजय शर्मा ने किया।
सबसे बड़ी बात- समाचार चैनलों की दुनिया बाहर ही आग नहीं लगाती, वहां न्यूज़ रूम में भी आग लगी रहती है। एक खौलता हुआ माहौल होता है जिसमें सब एक-दूसरे पर झपटने पर आमादा होते हैं। जिस ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा बाहर होती है, उससे सबसे ज़्यादा हमारे न्यूज़ रूम झुलस रहे होते हैं।
एनडीटीवी के न्यूज़ रूम में अगर हमने वह ओज़ोन परत कायम रखी जिसकी वजह से तापमान जीने लायक बना रहा तो इसका काफी कुछ श्रेय अजय शर्मा को भी रहा।
वे चुपचाप तेज़ी से, और बहुत सटीक ढंग से, काम करने के आदी रहे। बीच-बीच में उनके वन लाइनर बेहद मशहूर हुआ करते थे- उन जैसी चुटकियां लेने वाले लोग कम हैं।
न्यूज़ रूम में सबसे ज़्यादा कमी इसी की महसूस होती रहेगी। आज उनका जन्मदिन है- वो 58 साल के हो गए हैं। बधाई अजय जी, और शुभकामनाएं नई पारी के लिए।
(तस्वीर उन बुज़ुर्ग हो चुके लोगों की है, जिन्होंने कभी इस संस्थान में युवा की तरह पांव रखे थे।)
