दैनिक जागरण की एचआर मैडम का रसूख देखिए। दो दिन पहले उन्होंने कुछ इस तरह मुझे लताड़ा।
मेरे अनुभव को एचआर नेहा शर्मा ने नकार दिया। वैसे 2004 से मैं पत्रकारिता की मेन स्ट्रीम में आया और 2012 में ही मैं एडिटोरियल हेड अमर उजाला कॉम्पैक्ट में हो गया था। 2019 में रेजिडेंट एडिटर, कानपुर एक प्रतिष्ठित कंपनी में भी रहा।
साथ ही गूगल ने मेरी कंपनी न्यूज़ जंगल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को बेहतर काम के लिए 5000 USD का अवार्ड भी दिया था। जिसके सभी प्रूफ मैंने HR को शेयर किए थे।
पहले दिन संपादक जी से मेरी बात डिप्टी चीफसब पोस्ट के लिए हुई थी और HR ने पहली बातचीत में डिप्टी चीफसब की ही बात की थी लेकिन HR मैडम इसबात से बिल्कुल मुकर गईं और मुझपर हावी हो गईं। और बोलीं तुम क्या जानो मीडिया के बारे में, तुम जानते हो मीडिया कितनी बदल चुकी है।
ऐसी एचआर मोहतरमा के लिए खुले मंच में एक शेर अर्ज है-
झुक कर सलाम करने में क्या हर्ज है मगर!
सर इतना मत झुकाओ कि दस्तार गिर पड़े!!
