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दैनिक भास्कर ऐप में रिपोर्टरों का शोषण—ख़बर का दाम सिर्फ 20 रुपए,रिपोर्टरों पर ऐप डाउनलोड कराने का दबाव

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पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, लेकिन जमीनी स्तर पर खबरें लिखने वाले पंचायत रिपोर्टरों की हालत दयनीय है। जानकारी के अनुसार, दैनिक भास्कर ऐप से जुड़े रिपोर्टरों को एक खबर के बदले मात्र 20 रुपए दिए जाते हैं।

यही नहीं, उनकी मेहनत की बड़ी खबरें भी कई बार मुख्यालय से किसी दूसरे नाम से पब्लिश कर दी जाती हैं।

यानी छोटी खबरों को हल्की और छोटी बताकर रिजेक्ट किया जाता है बड़ी खबर को बड़ी बताकर मुख्यालय से लगाया जाता है।।डेस्क पर बैठे लोग मनमानी तरीके से खबरें रिजेक्ट कर देते हैं—कभी उसे हल्की बता देते हैं तो कभी बिना वजह डिलीट कर दी जाती हैं।

रिपोर्टरों पर ऐप डाउनलोड कराने का सबसे ज्यादा दबाव बनाया जाता है। रोजाना 10 डाउनलोड पूरा न करने पर उनकी खबरें रोक दी जाती हैं। इतना ही नहीं, उन्हें सीधी धमकी तक दी जाती है कि अगर टारगेट पूरा नहीं हुआ तो बाहर कर दिया जाएगा।

रिपोर्टरों का आरोप है कि यह साफ शोषण है। वे अपनी जान जोखिम में डालकर बड़ी घटनाओं की कवरेज करते हैं, लेकिन मेहनत का फल न सिर्फ छीना जाता है, बल्कि उन्हें अपमान और असुरक्षा का सामना करना पड़ता है।

यह पूरा मामला न केवल पत्रकारों के हक़ पर हमला है बल्कि लोकतंत्र की जड़ों पर भी चोट है। सवाल उठता है—क्या पंचायत रिपोर्टर अब लोकतंत्र की आवाज़ हैं या फिर कॉरपोरेट घरानों की मुफ्त मजदूरी का औज़ार बना दिए गए हैं?

मैं आजमगढ़ जिले के अजमतगढ़ ब्लॉक के एक न्याय पंचायत से जुड़ा हुआ था मैंने जब एक तहसील से संबंधित खबर भेजा तो डेस्क से उसे तीन बार रिजेक्ट किया गया जब मैंने पूछा तो सामने से बदतमीजी और धमकी दी गई और बाद में मुझे निकाल दिया गया और मेरी आईडी बंद कर दी गई।

 

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Author: media4samachar

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