सेवा में,
श्री नवीन गुप्ता जी
आपके द्वारा मेल के माध्यम से यह सूचना दी गई है कि 13 अगस्त से मैं कार्यालय से लगातार अनुपस्थित हूं। यह आरोप पूरी तरह से गलत और पूर्वाग्रह से प्रेरित है।
13 अगस्त की शाम मैं अपनी बीट की खबरें लिख रहा था। इसी दौरान आपने अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए सार्वजनिक रूप से मुझे ऊँचे स्वर में फटकारा। आपका यह रवैया मुझे गहराई से आहत करने वाला था। संपादकीय प्रमुख होने के नाते अपेक्षा थी कि आप निष्पक्ष व्यवहार करेंगे और मेरा पक्ष भी सुनेंगे। लेकिन आपने तानाशाही अंदाज में बिना मेरी बात सुने मुझे अपमानित किया, जो आपकी मेरे प्रति दुर्भावना को दर्शाता है।
इससे पहले भी आप संपादकीय सहयोगियों से कहते रहे हैं कि “मैं विश्व दीपक को निकलवाऊँगा।” आपके इस व्यवहार से अचानक सीने में दर्द हुआ और मेरी तबीयत खराब हो गई। इसकी सूचना मैंने ग्रुप पर लिखित और सहयोगियों को मौखिक रूप से दी थी।
15 अगस्त को अवकाश था और अगले दिन मेरा साप्ताहिक अवकाश था। तबीयत ठीक होने पर मैं 19 अगस्त को काम पर लौटा। उस दिन भी आपने अपने कक्ष में बुलाकर मेरा मानसिक उत्पीड़न किया, जिसके कारण मैं गहरे सदमे में चला गया। कुछ आराम मिलने के बाद 24 अगस्त को जब मैं कार्यालय पहुँचा तो आप कार्यालय के बाहर मिले और ऊँचे स्वर में कहने लगे कि “कार्यालय में दिखना नहीं चाहिए, भाग जाओ।”
इस पर मैंने आपसे निवेदन किया कि मैंने नवंबर 2019 से फरवरी 2021 तक कार्य किया है और उसके बाद 1 अप्रैल 2024 से अब तक पुनः सेवा दे रहा हूँ। लगभग चार वर्षों में मेरे कार्य और व्यवहार को लेकर कभी कोई शिकायत नहीं हुई। नगर निगम, बीडीए और भाजपा जैसी महत्वपूर्ण बीटें मेरे पास रहीं, फिर भी आपने हमेशा मेयर से जुड़ी खबरों को लेकर आपत्ति की, जबकि वे विज्ञापन भी देते रहे हैं।
मैंने अमर उजाला ब्यूरो प्रभारी की नौकरी छोड़कर अमृत विचार जॉइन किया और यहाँ लगभग छह माह तक सिटी इंचार्ज व सेकंड इंचार्ज के रूप में कार्य किया। वर्तमान में भी सेकंड इंचार्ज के रूप में कार्यरत हूँ, जो मेरी वरिष्ठता और कार्यकुशलता का प्रमाण है।
लेकिन कार्यालय के बाहर आपने पुनः अपमानित करते हुए नौकरी से निकालने की धमकी दी। इससे क्षुब्ध होकर मैंने कह दिया कि मेरा चार वर्ष का ईपीएफ, तीन माह का वेतन और एक वर्ष का आधा वेतन प्रदान कर दें, ताकि मैं जीवन-यापन कर सकूँ और इस दौरान अन्य नौकरी की तलाश कर सकूँ। इस पर आप भड़क गए और कार्यालय में प्रवेश करने से मुझे रोक दिया। इससे मेरी तबीयत और बिगड़ गई और मैं कार्यालय नहीं आ सका।
यदि मेरी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो मुझे विवश होकर लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करना पड़ेगा। इसके तहत मैं श्रम आयुक्त बरेली, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन बरेली, जिलाधिकारी बरेली, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बरेली, मुख्यमंत्री कार्यालय उत्तर प्रदेश और प्रधानमंत्री कार्यालय भारत सरकार को सूचित करने के बाद पहले एक दिन का सांकेतिक भूख हड़ताल तथा उसके बाद आमरण अनशन करने को बाध्य हो जाऊँगा। मुझे संदेह है कि आपकी मंशा सही नहीं है। इसका प्रमाण यह है कि कुछ दिन पूर्व रिपोर्टर अनुपम सिंह भी आपके उत्पीड़न का शिकार हुए और नौकरी छोड़ने के बाद उनका वेतन रोक लिया गया।
आप एक जाति विशेष के प्रति पूर्वाग्रह रखकर कार्य करते हैं और रिपोर्टरों पर निजी हित साधने हेतु दबाव बनाते हैं। जो लोग आपके हितों की पूर्ति नहीं करते, उन्हें योजनाबद्ध तरीके से परेशान करते हैं। आपने कई योग्य संपादकीय साथियों को कार्यालय छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। आपके इसी रवैये से आहत होकर एक साथी ने कार्यालय में आपको कड़ी आपत्ति भी जताई, जिसके बाद आपने मौन साध लिया। आपके निशाने पर अब भी कुछ अन्य साथी हैं।
अमृत विचार अख़बार, जो लगातार प्रगति कर रहा था और अपनी पहचान बना चुका था, आपके रवैये से नुकसान की ओर बढ़ रहा है। आप स्थानीय संपादक होते हुए न तो कभी संपादकीय लिखते हैं और न ही किसी खबर को पुनर्लेखन करते हैं। आप भेदभाव करते हैं और साथियों में मनमुटाव फैलाते हैं। अमरदीप गुप्ता पर आपकी विशेष कृपा से भी संपादकीय विभाग में असंतोष व्याप्त है।
आपके व्यवहार से स्पष्ट है कि आप मुझे काम नहीं करने देना चाहते। अतः कृपया मेरा चार वर्ष का भविष्य निधि अंशदान, तीन माह का वेतन तथा एक वर्ष का आधा वेतन प्रदान करने की कृपा करें। अन्यथा न्याय और मजबूरी में उठाए गए कदम की पूरी जिम्मेदारी आपकी होगी।
भवदीय,
विश्व दीपक त्रिपाठी
सीनियर रिपोर्टर / सेकंड इंचार्ज
अमृत विचार, बरेली
