Noida : वरिष्ठ पत्रकार और नोएडा मीडिया क्लब के पूर्व अध्यक्ष पंकज पराशर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने उनके खिलाफ दर्ज की गई रंगदारी की एफआईआर को निरस्त कर दिया है। यह फैसला पंकज पराशर की आपराधिक रिट याचिका संख्या 11234/2025 पर सुनवाई करते हुए सुनाया गया।
यह मामला थाना फेस-3, नोएडा में दर्ज क्राइम संख्या 62/2025 से जुड़ा था, जिसमें पंकज पराशर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 386 के तहत रंगदारी वसूलने का आरोप लगाया गया था। शिकायतकर्ता प्रदीप कुमार गर्ग ने दावा किया था कि पंकज पराशर ने उन पर 20 लाख रुपये की रंगदारी देने का दबाव बनाया। इस आधार पर पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी और चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी।
हालांकि, मामले ने तब नया मोड़ ले लिया जब प्रतिवादी संख्या-4 (प्रदीप गर्ग) की ओर से अदालत में हलफ़नामा दाखिल किया गया। इसमें स्पष्ट किया गया कि एफआईआर दर्ज कराने की उनकी कोई मंशा नहीं थी और यह पुलिस द्वारा उनकी सहमति के बिना दर्ज की गई थी। गर्ग ने यह भी कहा कि उन्हें पंकज पराशर से कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं है और यदि एफआईआर निरस्त कर दी जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।
इस दलील को अदालत ने गंभीरता से लेते हुए कहा कि जब शिकायतकर्ता स्वयं एफआईआर को लेकर असहमति जता रहा है और कोई आपत्ति नहीं जता रहा, तो ऐसे में एफआईआर को कायम रखना न्यायोचित नहीं होगा। न्यायालय ने यह कहते हुए कि इस प्रकार की कार्यवाही पत्रकार की प्रतिष्ठा और स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, एफआईआर को निरस्त कर दिया।
पंकज पराशर की ओर से अधिवक्तागण जिज्ञासा सिंह और प्रीते चौधरी ने प्रभावी ढंग से पक्ष रखा। उन्होंने अदालत को बताया कि यह एफआईआर पत्रकार की छवि खराब करने की मंशा से प्रेरित थी और इसका कोई ठोस आधार नहीं था। यह फैसला न केवल पंकज पराशर की प्रतिष्ठा को एक बार फिर स्थापित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पत्रकारों को झूठे मामलों में फंसाने की कोशिशों को न्यायालय गंभीरता से लेता है।
पंकज पराशर की पत्नी अनिका पाराशर ने कोर्ट के आदेश के बाद कहा, “सच की जीत हुई है। मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था और वह भरोसा आज और मजबूत हुआ है। मेरे पति निर्दोष हैं, उन्हें फसाया गया है।”
