कानपुर के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार का बुलावा आ गया है।
उन्हें जल्दी से जल्दी दिल्ली ज्वाइन करने को कहा गया है।
इस बीच कुछ अहम तथ्यों पर नज़र डालिए।
अखिलेश दुबे पर पांचवीं के बाद छठीं एफआईआर आज तक नहीं हो सकी है, जबकि SIT के पास शिकायतों की भरमार है।
कई मामलों में जांच पूरी हो चुकी है। शिकायतें सही पाई गई हैं!!
गवाह सामने हैं।
तथ्य सत्य की उँगलियाँ पकड़कर झूल रहे हैं।
मगर खुद अखिल कुमार के रहते हुए भी अगला एक्शन ठप्प है।
अखिल कुमार के पुलिस कमिश्नर होते हुए भी पुलिस ने एक बार भी अखिलेश दुबे की पुलिस रिमांड चाही ही नहीं है।
और ये भी कि अखिलेश दुबे की अवैध पाई गई संपत्तियों पर बुलडोजर की छाया तक नहीं पड़ी है!
ये कैसा संदेश है? क्या कोई ईश्वरीय आदेश है?
क्या महान फ़ुटबाल खिलाड़ी डिएगो माराडोना के 1986 के फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ “Hand of God” के ज़रिये किए गए गोल सरीखा मामला है?
शायद कभी अखिल कुमार इस सच्चाई को बयां कर सकें कि अगर इस मामले में कोई “Hand of God” था तो वो किसका था?
उम्मीद है अखिल कुमार जब भी अपनी आत्मकथा लिखेंगे तो शायद इन सवालों के जवाब मिल सकें!!
पर आत्मकथा का शीर्षक यही होना चाहिए-
“Kanpur and the mystery of “hand of god”!!
