लोकमत पत्र समूह महाराष्ट्र का अव्वल मीडिया हाउस है. पर इन दिनों इस समूह के मालिकान अपने कर्मचारियों को कुछ अलग ही तरीके से प्रताड़ित कर रहे हैं. असल में समूह के कर्मचारियों पर मृत्योपरांत अंगदान का दबाव बनाया जा रहा है. कर्मचारियों ही नहीं, उनके परिजनों से भी इस संबंध में फॉर्म भरवाये जा रहे हैं. इससे कर्मचारियों में रोष है पर वे कुछ कर नहीं पा रहे हैं.
नासिक यूनिट के एक कर्मचारी ने नाम देने की शर्त पर कहा, ‘‘अंगदान बेशक पुण्य का काम है, पर यह किसी का भी व्यक्तिगत निर्णय है, इसे लेकर कर्मचारियों को घेरना और उन पर बार बार दबाव बनाना गलत है.’’ इस कर्मचारी ने यह भी कहा कि हर विभाग के प्रमुख ज्यादा से ज्यादा अधीनस्थों से फार्म भरवा कर मालिकान के सामने अपने नंबर बढ़वाने की होड़ में हैं.’’
मुंबई के एक कर्मचारी ने बताया कि मना करने पर उसे इशारों में धमकी भी दी गई है. कहा गया है कि अंगदान करो और नौकरी करते रहो. इसका क्या मतलब हुआ. यह कर्मचारी ठेके पर काम कर रहा है.
बता दें कि लोकमत समूह के करीब दो दर्जन शहरों में ऑफिस हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग ठेके पर यानी कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं, जो हर साल जुलाई महीने में रिन्यू होता है. इन दिनों पूरे समूह में अप्रेजल की प्रक्रिया जारी है, जिसके कारण कर्मचारी भारी दबाव महसूस कर रहे हैं.
पर कर्मचारियों से अंगदान की शपथ दिलाने से मालिकों को हासिल क्या होगा? इस सवाल पर समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ’’बहुत श्योर तो नहीं हूं पर ऐसा अनुमान है कि राजनेता और पूर्व सांसद मालिक सरकार से पद्मश्री जैसा कोई सम्मान पाने की कोशिश में हैं. ये तरीका आसान है सैकड़ों कर्मचारियों को अंगदान की शपथ दिलाने का श्रेय लिया जाएगा.’‘
कर्मचारियों का यह भी कहना है कि अंगदान के लिए प्रेरित करना एक बात है, पर दबाव बनाना, लोगों को मजबूर करना उचित नहीं. यह काम सिर्फ स्वेच्छा से ही किया जाना चाहिए.
नोट : साथ में (ऊपर पत्र) दिये गये आंकड़े 31 मई के हैं, जिसके बाद कर्मचारियों पर दबाव बढ़ गया है.
