नूपुर धमीजा (वरिष्ठ अधिवक्ता-सुप्रीम कोर्ट)
संपादक & लीगल हेड: Media4samachar
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मातृत्व अवकाश लेना महिलाओं का अधिकार है। यह मातृत्व का अभिन्न हिस्सा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के निर्णय को खारिज करते हुए कहा कि महिला अपने पहले विवाह से दो बच्चों के बावजूद तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश की हकदार है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मातृत्व अवकाश लेना महिलाओं का अधिकार है। यह मातृत्व का अभिन्न हिस्सा है।
हाईकोर्ट ने कर दिया था इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के निर्णय को खारिज करते हुए कहा कि महिला अपने पहले विवाह से दो बच्चों के बावजूद तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश की हकदार है। हाईकोर्ट ने तमिलनाडु की सरकारी स्कूल की एक शिक्षिका को मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया था।
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, पूरी दुनिया में मां बनने के अधिकारों को मान्यता दी गई है, जिसमें मातृत्व लाभ शामिल हैं। मातृत्व अवकाश मातृत्व लाभ का अभिन्न हिस्सा है। अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 21 के व्यापक दायरे पर जोर दिया, जो जीवन के अधिकार की गारंटी देता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अर्थ जीवन के पूर्ण अर्थ से है। जीवन के अधिकार में स्वास्थ्य का अधिकार, गरिमा के साथ जीने का अधिकार और गोपनीयता का अधिकार भी शामिल है। अदालत ने अनुच्छेद 42 का भी उल्लेख किया, जिसमें कार्य की न्यायपूर्ण और मानवता के अनुकूल परिस्थितियों और मातृत्व राहत के प्रविधान हैं।
तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले के एक सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अंग्रेजी की शिक्षिका के पहले विवाह से दो बच्चे हैं। 2017 में तलाक के बाद से बच्चे उनके पूर्व पति की कस्टडी में हैं।
2018 में, उन्होंने पुनर्विवाह किया और 2021 में गर्भवती हुईं। उन्होंने 17 अगस्त 2021 से 13 मई 2022 तक मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया।
उनका अनुरोध तमिलनाडु के अधिकारियों ने मौलिक नियम (एफआर) 101(ए) का हवाला देकर अस्वीकार कर दिया। इस नियम के तहत मातृत्व अवकाश उन महिलाओं को मिलता है जिनके दो से कम बच्चे हैं। महिला ने इस फैसले को मद्रास हाई कोर्ट में चुनौती दी।
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने उनके पक्ष में फैसला दिया और शिक्षा विभाग को मातृत्व अवकाश देने का आदेश दिया। हालांकि, राज्य सरकार ने अपील की। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इस निर्णय को पलट दिया, जिसके बाद शिक्षिका ने शीर्ष अदालत का रुख किया।
शीर्ष अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि मातृत्व लाभ संशोधन कानून, 2017 के तहत दो से अधिक बच्चों वाली महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश पर रोक नहीं है। इसके बजाय यह कानून मातृत्व अवकाश की अवधि को सीमित करता है। दो से कम बच्चों वाली महिलाओं के लिए 26 सप्ताह और अधिक बच्चों वाली महिलाओं के लिए 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश मिलता है।
